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Wednesday, August 19, 2015

न तातो न माता न बन्धुर्न दाता
न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता ।
न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ १ ॥

भवाब्धावपारे महादुःखभीरुः
पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः ।
कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहम्
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ २ ॥

न जानामि दानं न च ध्यानयोगं
न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम् ।
न जानामि पूजां न च न्यासयोगं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ ३ ॥

न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं
न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित् ।
न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातः
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ ४ ॥

कुकर्मी कुसङ्गी कुबुद्धिः कुदासः
कुलाचारहीनः कदाचारलीनः ।
कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ ५ ॥

प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं
दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित् ।
न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ ६ ॥

विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे
जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये ।
अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ ७ ॥

अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तो
महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः ।
विपत्तौ प्रविष्टः प्रणष्टः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥ ८ ॥
अम्बे तू  है  जगदम्बे  कलि
जय  दुर्गे  खप्पर  वाली
 तेरे  ही  गुण  गाये  भारती
ओ  मैया  हम  सब  उतारे तेरी  आरती

तेरे   भक्त  जानो  पर  माता   भीड़  पड़ी  है   भरी
दानव  दल  पर  टूट  पदों  माँ  करके  सिंह  सवारी
सौ  सौ  सिंघो  से  तू  बल  शाली
अष्ठ  भुजाओ  वाली , दुष्टों  को  पल  में  संघरती

माँ  बेटे  का  है  इस  जग  में  बड़ा  ही  निर्मल  नाता
पूत  कपूत  सुने  है  पर  न  माता  सुनी  कुमाता
 सब  पर  करुना  दर्शाने  वाली , अमृत  बरसने  वाली
दुखियों  के  दुख्दाए  निवारती

नहीं  मांगते  धन  और  दौलत  न  चांदी  न  सोना
हम  तो  मांगे  माँ  तेरे  मन  में  एक  छोटा  सा  कोना
सब  की  बिगड़ी  बनाने  वाली , लाज  बचने  वाली
सतियो  के  सैट  को  संवारती 
Aarti Kunj Bihari Hi
Gale Mein Baijanti Mala, Bajave Murali Madhur Bala।
Shravan Mein Kundal Jhalakala, Nand Ke Anand Nandlala।
Gagan Sam Ang Kanti Kali, Radhika Chamak Rahi Aali।
Latan Mein Thadhe Banamali;Bhramar Si Alak, Kasturi Tilak, Chandra Si Jhalak;
Lalit Chavi Shyama Pyari Ki॥ Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥ Aarti Kunj Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥ X2

Kanakmay Mor Mukut Bilse, Devata Darsan Ko Tarse।
Gagan So Suman Raasi Barse;Baje Murchang, Madhur Mridang, Gwaalin Sang;
Atual Rati Gop Kumaari Ki॥ Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥ Aarti Kunj Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥ X2

Jahaan Te Pragat Bhayi Ganga, Kalush Kali Haarini Shri Ganga।
Smaran Te Hot Moh Bhanga;Basi Shiv Shish, Jataa Ke Beech, Harei Agh Keech;
Charan Chhavi Shri Banvaari Ki॥ Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥ Aarti Kunj Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥ X2

Chamakati Ujjawal Tat Renu, Baj Rahi Vrindavan Benu।
Chahu Disi Gopi Gwaal Dhenu; Hansat Mridu Mand,
Chandani Chandra, Katat Bhav Phand; Ter Sun Deen Bhikhaaree Ki॥
Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥
Aarti Kunj Bihari Ki Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥ X2

Aarti Kunj Bihari Ki, Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥
Aarti Kunj Bihari Ki, Shri Girdhar Krishna Murari Ki॥


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आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लटन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की...
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की...
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की...
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…


चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू
चहूँ दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की...
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…
Aarti keeje hanuman lalaa ki
Dusht dalan raghunath kala ki

Jake bal se girivar kape
Rog dhosh jake nikat na jhake
Anjani putra maha baldai
Santan ke prabhu sada sahai
Aarti keeje hanuman lalaa ki

De beera raghunath pathaye
Lanka jari siya sudhi laye
Lanka so kot samudar si khai
Jat pawansut dwar na layi
Aarti keeje hanuman lalaa ki

Lanka jari asur sanhare
Siyaramji ke kaaj shaware
Laxman murchit pade sakare
Aani sanjeevan pran ubare
Aarti keeje hanuman lalaa ki

Paithi patal tori jam-kare
Aahiravan ki bhuja ukhare
Baye bhuja asurdal mare
Dahine bhuja santjan tare
Aarti keeje hanuman lalaa ki

Sur nar munijan aarti utare
Jai jai jai hanuman uchare
Kanchan thar kapor lau chayi
Aarti karat anjana mai
Aarti keeje hanuman lalaa ki

Jo hanuman ji ke aarti gave
Basi baykunth param pad pave
Aarti keeje hanuman lalaa ki